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Top 5 high margin in CSC

CSC (Common Service Center) is an initiative of the Indian Government to provide digital services to citizens, especially those living in rural areas. There are several services that CSCs offer, and the margin varies depending on the service. Here are some of the high-margin services that CSCs offer: Banking services: CSCs offer various banking services such as account opening, money transfer, and cash deposit/withdrawal. The margin for these services can range from 0.5% to 2%, depending on the service and the volume of transactions. Insurance services: CSCs act as intermediaries for insurance companies and offer services such as policy issuance and renewal. The margin for these services can range from 10% to 15% of the premium amount. Aadhaar services: CSCs provide various Aadhaar-related services such as enrollment, update, and printing. The margin for these services can range from Rs. 10 to Rs. 30 per transaction. PAN card services: CSCs also provide PAN card application and correct...

sleep (नींद)

  इस कहानी में हमे किसी को दुख पहुंचाने का कोई इरादा नही है, फिर भी अगर पसंद आए तो Comment & share Please☺️ नींद के स्वरूप जब हमारा जन्म होता है तो सोने कि आदत होती है। रात को जगी तो मां जागकर हम सुलाती है। जब हम साल भर के हो जाते है, मां हमें लोरी गाकर सुलाती है । जब हम 2 3 साल के हो जाते है, मां हमें कहानी सुना के सुलाती है।   आपको याद होगा गर्मियों में मां हमें चंदा मामा का लोरी सुनते थे। जब हम पढ़ने लायक हो जाते है तो हमें हॉस्टल में एडमिट किया जाता है, वहां हमें लोरी सुनने वाला कोई नहीं होता, प्यार से सुलाने वाला कोई नहीं होता, वहां हमारा हाल चाल पूछा तो जाता है पर उपचार करने वाला कोई नहीं होता। क्योंकि मा के हथो जो उपचार होता है वो कोई डॉक्टर भी नहीं कर सकता। फिर  हमें आता है बेचैनी का नींद। 10th 12th पास हो जाते है फिर आता है एक और नया नींद का दौर, मां के पास बीते वो पल, जन्नत से कम नही होते, नींद आती है इतनी अच्छी, और कोई मन्नत नही होते।। फिर होता है पसंद, इजहार और प्यार जिस रात अच्छे से बात हो गई तो चैन की नींद  नहीं हुई तो सोचते सोचते नींद आ जाती...

Motivational

हाथों के बगैर जिंदगी को अच्छे से चला दुनिया को प्रेरणा दे रहे ये दिव्यांग बच्चे जन्म से ही दोनों हाथों से दिव्यांग होने के बावजूद बिलासपुर (छत्तीसगढ़) की ऋतु पैरों से पेन और कम्यूटर चलाती हुई आईएएस की तैयारी कर रही हैं, पेंटिंग बना रही हैं। इसी तरह मालदा (प.बंगाल) के जगन्नाथ तेज रफ्तार में साइकिल ही नहीं, खेतों में हल-फावड़े चलाते हुए ग्रेजुएशन कर टीचर बनना चाह रहे हैं। ऐसी दिव्यांग दुनिया से विचलित लेकिन इरादे की मजबूत कानपुर की मनप्रीत कौर कालरा मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर अपाहिज बच्चों की जिंदगी संवारने में जुट गई हैं। उनके मिशनरी संकल्प से प्रभावित होकर इसी साल यूपी के मुख्यमंत्री ने उन्हें सम्मानित किया है। जगन्नाथ और रितु अगर कोई विकलांग व्यक्ति अपनी मेहनत और काबिलियत के चलते कुछ हासिल भी कर लेता है तो ज्यादातर हमारा समाज उसे प्रोत्साहित करने की बजाए दया का पात्र समझता है। विकलांग होना कोई अभिशाप नहीं है। ऐसे व्यक्ति को दया नहीं, शाबासी की जरूरत रहती है। एक बड़ी मशहूर कहावत है - अपना हाथ, जगन्नाथ। मगर मालदा के जगन्नाथ बिना हाथ के। और आईएएस की तैयारी कर रही छत्ती...