हाथों के बगैर जिंदगी को अच्छे से चला दुनिया को प्रेरणा दे रहे ये दिव्यांग बच्चे जन्म से ही दोनों हाथों से दिव्यांग होने के बावजूद बिलासपुर (छत्तीसगढ़) की ऋतु पैरों से पेन और कम्यूटर चलाती हुई आईएएस की तैयारी कर रही हैं, पेंटिंग बना रही हैं। इसी तरह मालदा (प.बंगाल) के जगन्नाथ तेज रफ्तार में साइकिल ही नहीं, खेतों में हल-फावड़े चलाते हुए ग्रेजुएशन कर टीचर बनना चाह रहे हैं। ऐसी दिव्यांग दुनिया से विचलित लेकिन इरादे की मजबूत कानपुर की मनप्रीत कौर कालरा मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर अपाहिज बच्चों की जिंदगी संवारने में जुट गई हैं। उनके मिशनरी संकल्प से प्रभावित होकर इसी साल यूपी के मुख्यमंत्री ने उन्हें सम्मानित किया है। जगन्नाथ और रितु अगर कोई विकलांग व्यक्ति अपनी मेहनत और काबिलियत के चलते कुछ हासिल भी कर लेता है तो ज्यादातर हमारा समाज उसे प्रोत्साहित करने की बजाए दया का पात्र समझता है। विकलांग होना कोई अभिशाप नहीं है। ऐसे व्यक्ति को दया नहीं, शाबासी की जरूरत रहती है। एक बड़ी मशहूर कहावत है - अपना हाथ, जगन्नाथ। मगर मालदा के जगन्नाथ बिना हाथ के। और आईएएस की तैयारी कर रही छत्ती